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06:56, 29 जून 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दुष्यन्त जोशी
|अनुवादक=
|संग्रह=अेकर आज्या रै चाँद / दुष्यन्त जोशी
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<poem>
थूं दूर खड़्यौ मुळकै
देख
आं टाबरां कानी देख
अै दो दिनां सूं
टसकै टीकड़ां सारू
अेकर आज्या रै चाँद
आं भोळाभाळा
अर भूखा
टाबरियां रै हाथां में
रोटी रै मिस
बस अेकर आज्या
टाबर
रूप हुवै भगवान रौ
अेकर आय'र बिलमाज्या
अेकर आज्या रै चाँद।
</poem>
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