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10:36, 8 जुलाई 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ॠतुप्रिया
|अनुवादक=
|संग्रह=सपनां संजोवती हीरां / ॠतुप्रिया
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<poem>
थूं
बीमार
थारी लापरवाही सूं
ठीक होवणौ चावै
तद
नां डर
टैम काड
खुद सारू
अर
प्रकृति नै दिखा
जिकी
सैं’ सूं बड्डी डाकधर।
</poem>
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