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11:02, 8 जुलाई 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ॠतुप्रिया
|अनुवादक=
|संग्रह=सपनां संजोवती हीरां / ॠतुप्रिया
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<poem>
पोथ्यां नीं
तद
अंधारौ है
आखै जग में
पोथ्यां करै
च्यानणौ
खोलै आँख
दिखावै मारग
बतावै सार
मिटावै खार।
</poem>
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