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मिनख / ॠतुप्रिया

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|संग्रह=सपनां संजोवती हीरां / ॠतुप्रिया
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<poem>
जग मायाजाळ
अर
धन माटी

पछै क्यूं करै
मिनख
चोरी अर डकैती

क्यूं ल्यै रिसपत

अर
क्यूं अपणावै
नवा-नवा हथकंडा।

</poem>
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