536 bytes added,
11:16, 8 जुलाई 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ॠतुप्रिया
|अनुवादक=
|संग्रह=सपनां संजोवती हीरां / ॠतुप्रिया
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
जग मायाजाळ
अर
धन माटी
पछै क्यूं करै
मिनख
चोरी अर डकैती
क्यूं ल्यै रिसपत
अर
क्यूं अपणावै
नवा-नवा हथकंडा।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader