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11:38, 8 जुलाई 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ॠतुप्रिया
|अनुवादक=
|संग्रह=सपनां संजोवती हीरां / ॠतुप्रिया
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<poem>
कदी लुगायां
चिड़्यां नै बाजरी
अर कीड़ी नगरै नै
नाखती आटौ
अबै
घणकरी लुगायां
का तौ
घर रै काम में
रैवै उळझ्योड़ी
का पछै
टीवी रै नाटकां री
भागीदारां नै
रैवै निरखती
पण लागै
कीड़्यां आटै सारू
अर
चिड़्यां बाजरी सारू
अबै भी अडीकै
लुगायां नै।
</poem>
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