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औळमो / ॠतुप्रिया

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|संग्रह=सपनां संजोवती हीरां / ॠतुप्रिया
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<poem>
पाखियां सारू
पळींडौ
बणा तो दियौ
छात माथै
पण
पाखी आज भी तरसै
पाणी सारू

पाखी
किण नै द्यै औळमौ

घर रा
सगळा उळझ्योड़ा है
आप-आप रै
काम में।

</poem>
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