773 bytes added,
11:22, 9 जुलाई 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा
|अनुवादक=
|संग्रह=चीकणा दिन / मदन गोपाल लढ़ा
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
निकळो चावै
दावै जकी
गळी सूं
घूम-फिर'र
पूग जावोला पाछा-
उणींज गळी में!
घर दांई
गळी ई तो बुलावै
गोद री प्रीत पाळती
ओदर जावै
जद नीं देखै आपनैं।
कांई दूर-दिसावर जायां पछै
आप पण करो चेतै-
गळी नैं इणींज भांत?
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader