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11:31, 9 जुलाई 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा
|अनुवादक=
|संग्रह=चीकणा दिन / मदन गोपाल लढ़ा
}}
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<poem>
भूख सागै
उजड़्योड़ा गांव-घर रो मोह
खींच ल्यावै नित
स्क्रेप चुगण रै मिस
बां मजूरां नैं
चांदमारी इलाकै में।
पण नीं पेट भरीजै
नीं जीव धापै।
हे विधना!
कींकर अरथाऊं
इण जूण री
करुण-कथा नैं
गळगळा सबदां?
</poem>
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