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11:34, 9 जुलाई 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा
|अनुवादक=
|संग्रह=चीकणा दिन / मदन गोपाल लढ़ा
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<poem>
सौ पांवडां रो आंतरो
ठेसण माथै ऊभी-
साधारण सवारी गाड़ी
भाजतां-भाजतां
सांस गळै में आग्यो।
टिगट लेय'र
जद दोरो-सोरो
रुड़कती गाड़ी में बड़्यो
समान समेत
डब्बै में साव खाली लाधगी
ऊपरली सीट।
</poem>
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