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11:38, 9 जुलाई 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा
|अनुवादक=
|संग्रह=चीकणा दिन / मदन गोपाल लढ़ा
}}
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<poem>
नांव मुजब
कीं तो उतरयो
राम रो सुभाव
कलाकार में।
जद ई तो
रामलीला सूं
बावड़ती बेळां
बो घरै लेग्यो
खांसी री दवाई
बूढै बाप खातर!
</poem>
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