1,001 bytes added,
10:18, 18 जुलाई 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=रोशनी का कारवाँ / डी. एम. मिश्र
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
ज़िंदगी के सभी ग़म भुला दीजिए।
सुरमई शाम है बस मज़ा लीजिए।
गर दिया रात तो चाँदनी भी दिया,
शुक्रिया उस ख़ुदा का अदा कीजिए।
आज हँसने, हँसाने का मौका मिला,
बस, यही सोचकर मुस्करा दीजिए।
लोग महफिल से जाँयें तो गाते हुए,
आप ऐसी ग़ज़ल गुनगुना दीजिए।
उस बेचारे की ये उम्र मरने की क्या?
सिर्फ़ बीमार है वो बचा लीजिए।
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader