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10:21, 18 जुलाई 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=रोशनी का कारवाँ / डी. एम. मिश्र
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
और आगे क्या किया जाये बताओ रास्ता।
रास्ता कैसे चुना जाये बताओ रास्ता।
जब सवालों से घिरे हों और उत्तर हो न कोई,
किस तरह से चुप रहा जाये बताओ रास्ता।
यार जितने भी हमारे थे जुदा वो हो गये,
अब कहाँ उनसे मिला जाये बताओ रास्ता।
मौत से बदतर अगर हो ज़िंदगी तो क्या करें,
किस तरह ज़िन्दा रहा जाये बताओ रास्ता।
</poem>
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