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मेरे साथ मेरे गुनाह थे और वो सितारों की रात थी।थी
चर्चों में आम जो हो गयी इक नासमझ शुरूआत थी।
जहाँ चाँदनी तेरे साथ है वहीं काजलों की मुहर भी है,
मेरे दाग़ सारे मिटा दिये कितनी हसीन वो रात थी।
आँखें हसीन हैं सुरमई जहाँ सुर्ख डोरे हैं जादुई,
वर्षों जो बाँधे रही मुझे लम्हों की वो मुलाकात थी।
ऋतुओं से कोई गिला नही मौसम जो मुझ पे है मेहरबाँ,
कल सबकी छत पर धूप थी, छत पर मेरे बरसात थी।
था भरा सरोवर रूप का जहाँ मस्त कमलों की पाँत थी,
चाँदी की उजली थाल में ज्यों धूप की सौगात थी।
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