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अब कहाँ जायें हमारे रास्ते हैं बन्द / डी. एम. मिश्र
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09:43, 24 अगस्त 2017
पर, इज़ाज़त है कहाँ हो जाँय हम स्वच्छन्द।
छोड़ना ही था तुझे तो क्यों किया फिर
प्याचर
प्यार
जिंदगी में शेष है अब सिर्फ अन्तर्द्वन्द।
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