गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
हमरो सलाम लिहीं जी / विजेन्द्र अनिल
43 bytes added
,
10:53, 13 सितम्बर 2017
ई ह गांधी जी के देस, रउआ होई ना कलेस
केहू कांपता त कांपे, रउआ घाम लिहीं जी।
'''रचनाकाल : 24. 1. 1978'''
</poem>
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits