गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
इज़्ज़तपुरम्-57 / डी. एम. मिश्र
716 bytes added
,
11:47, 18 सितम्बर 2017
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=डी. एम. मिश्र |संग्रह=इज़्ज़तपुरम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=इज़्ज़तपुरम् / डी. एम. मिश्र
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
एक काँटा भी
ठीक से था
जमा नहीं
पसली में
कमजोर मछली
जाल में आ फँसी
और हो गयी मंडी की
फिर कौन देखे
देह की भूख
और तृष्णा के सम्मुख
मन के भीतर
रचे-पगे उसके
महके संसार को
शिकारी को
कुल दिखे
एक जून का गोश्त
</poem>
Dkspoet
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits