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शिवदीन निरंतर ध्यान लगा, गुरु गोविन्द के सम कौन है दाता ।
स्वर्ग गुरु बैकुंठ गुरु ब्रिजधाम बृज धाम गुरु, चहुँ ओर लखता ।
गुरु हैं गुरु मेरा प्रेम गुरु, शुभ नेम गुरु उर माहिं सुहाता ।
अनुराग गुरु वैराग्य गुरु बड़ भाग्य गुरु, गुरु पाठ पढ़ता ।
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