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02:59, 15 अक्टूबर 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=पूनम अरोड़ा 'श्री श्री'
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<poem>
हम फूलों से कहेंगे 'मुस्कुराना'
हम बच्चों से कहेंगे 'मुस्कुराना'
हम खुद से भी कहेंगे 'मुस्कुराना'
कितनी बड़ी रिहाई चाहते हैं हम !
</poem>
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