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दुख जोड़ेंगे हमें. / ब्रजमोहन
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19:32, 16 अक्टूबर 2017
कैसे-कैसे जिए मन मार के हम
बोझ ढोते उतार-उतार के हम
देख-देख कभी वो भी दौड़ेंगे
हम
हमें
...
</poem>
अनिल जनविजय
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