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08:47, 17 अक्टूबर 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=टोमास ट्रान्सटोमर
|संग्रह=
}}
<Poem>
कांच के पीछे
सरीसृप
आश्चर्यजनक तरीके से गतिहीन हैं.
एक औरत धुले कपड़े लटका रही है
मौन में.
मौत हवाविहीन है.
भूमि की गहराई में
फिसल जाता है मेरा मन
शांत एक धूमकेतु की तरह.
'''(मूल स्वीडिश से अनुवाद : अनुपमा पाठक)'''
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