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09:56, 17 अक्टूबर 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=नील्स फर्लिन
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<Poem>
तुमने खो दिए हैं अपने शब्द और कागज़ के टुकड़े को विस्मृत कर दिया है
ज़िन्दगी में नंगे पाँव विचर रहे हो तुम.
तुम बैठ जाते हो दूकान की सीढ़ियों पर
परित्यक्त की भांति नम आँखें लिए हुए.
क्या शब्द था वह-- लम्बा या छोटा,
स्पष्ट अक्षर थे या लिपे-पुते से ?
अब कल्पना करो ज़रा-- इससे पहले कि हम चले जायें
ज़िन्दगी में नंगे पाँव विचर रहे हो तुम.
'''(मूल स्वीडिश से अनुवाद : अनुपमा पाठक)'''
</poem>
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