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10:33, 19 अक्टूबर 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=सुरेश चंद्रा
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
वो खिड़की, खुली रखना
जहाँ से आती हो, ताज़ा हवा
थोड़ी सी चाँदनी और
आ सके गर, एक पुरानी याद
एक गमला सिरहाने रखना
बो देना कुछ धुंधली आहटें
आधा नाखून, तुम्हारी धूप
आधा क़तरा नमी मेरी
किसी बेचैन सांस मे
सिसकी जो उग आए
बहा लेना आँखों से, चंद मुस्कुराहटें
खनक उनकी, भर लेना गुल्लक मे
एक दिन, बेचैनीतोड़ कर
नयी सी दुनिया खरीद लेना
</poem>