Changes

पर अभी के लिये
तुम पद्दच्युत पदच्युत हो
अपने सिंहासन से
तुम्हे समझना चाहिए कि तुम
समझे जाओगे समयनुसारसमयानुसार
परखे जाओगे तदानुसार
तुम विश्वास खो चुके हो
और हार चुके हो अधिकार
समय तुम्हे तुम्हें क्या देगा भी अब
क्षतिपूर्ति या प्रतिकार ??
उठो, चल दो
त्वरित गति दें तुम्हेतुम्हें, तुम्हारे मन, मस्तिष्क, हृदय,तार-तार
साहस करो मनुज
भेदो चक्रव्यूह, यही सार, यही सार, यही सार !!.
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,957
edits