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संकेत की कोमल भाषा / पूनम अरोड़ा 'श्री श्री'
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11:28, 20 अक्टूबर 2017
मैं खाते हुए गुलकंद का पान
इलायची रख देती थी तुम्हारी कत्थई
जिव्हा
जिह्वा
पर.
यही संकेत था
जनेऊ और मेरी
चांदी
चाँदी
के कमरबंद की उलझन का.
</poem>
Anupama Pathak
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