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<poem>
जग बौना है
मन है ऊंचा
मेरी छत के नीचे
सब झूठे हैं
सपने सच्चे
मेरी छत के नीचे


दिन अन्धियाले
रातें उजली
मेरी छत के नीचे
सावन बिन बादल
बिन बिजली
मेरी छत के नीचे

जब तुम आते
धर गिन-गिन पग
मेरी छत के नीचे
तुम संग बनता
सुरभित पग-मग
मेरी छत के नीचे

प्रीत भरा मन
थोड़ी अन-बन
मेरी छत के नीचे
मादक मधु बिन
बौराए मन
मेरी छत के नीचे

विरहाकुल की
कातर चितवन
मेरी छत के नीचे
अभिसार रस
गुपचुप गोपन
मेरी छत के नीचे

सीमित घड़ियाँ
अमित लालसा
मेरी छत के नीचे
लघुतम जीवन
गुरुतम आशा
मेरी छत के नीचे

चन्द शब्द में
व्यापक अंतर
मेरी छत के नीचे
कला सरोवर
कविता निर्झर
मेरी छत के नीचे

इतना कुछ
कैसे सिमटा है
मेरी छत के नीचे
निश्चित कोई
कवि बसता है
मेरी छत के नीचे

(अपर्णा दी के लिए)
</poem>
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