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विक्रमण / रामनरेश पाठक

No change in size, 17:51, 25 अक्टूबर 2017
एक सूखे समुद्र का विवृत्त स्तब्ध हाहाकार
लील रहा है
अनस्तित्व, ले लय पारद-तरलता और
पारदर्शी काले दर्पण को
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