Changes

बरसते तुम / इंदुशेखर तत्पुरुष

584 bytes added, 05:12, 3 दिसम्बर 2017
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=इंदुशेखर तत्पुरुष |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=इंदुशेखर तत्पुरुष
|अनुवादक=
|संग्रह=पीठ पर आँख / इंदुशेखर तत्पुरुष
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
बरसते तुम
बरसते जैसे
अम्बर से
कभी पानी-
कभी आग

पुलकित धरती का रोम-रोम
हो जाता हरियल कभी

कभी झुलसा देते
सारी की सारी
खड़ी फसल।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits