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भरोसे में / इंदुशेखर तत्पुरुष

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|संग्रह=पीठ पर आँख / इंदुशेखर तत्पुरुष
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<poem>
भरे जेठ में
जो गमले
बने रहे हरे
वे सूख गये
सावन के भरोसे में।
</poem>
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