Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=इंदुशेखर तत्पुरुष |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=इंदुशेखर तत्पुरुष
|अनुवादक=
|संग्रह=पीठ पर आँख / इंदुशेखर तत्पुरुष
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
एक अदालत चल रही दिन-रात
वही वादी, वही प्रतिवादी
वही आरोप-प्रत्यारोप
वकील, दलील, गवाह
कुछ भी तो नया नहीं।
अजीब सनकी है न्यायाधीश
न थकता, न ऊबता
न फैसला सुनाता
न अदालत बर्खास्त ही करता।
तैरना यहां मृत्यु है, डूबना-जीवन।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits