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झर-झर कंथा.. / करणीदान बारहठ
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11:08, 30 दिसम्बर 2017
रह ज्यासी
राख री ढेरी
रह
ज्याी
ज्यासी
मनसा अधूरी
तोड़ द्यूं फोड़ द्यूं
जठै झर झर झर
झरै हो परबत
स्यूं
ज्यूं
झरणो
हूं मन में बोल्यो
थामले जे
आशिष पुरोहित
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