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जीवन के फेनिल समुद्र में उठता ज्वार किसे कहते हैंमृदु मनुहार किसे कहते हैं, अमृतधार किसे कहते हैंप्रियतम के स्वागत में सजती बन्दनवार किसे कहते हैं आंकोगी जब मूल्य अश्रु का, पदचिन्हों को दोहराओगीतब तुम समझोगी पाषाणी, पागल प्यार किसे कहते हैं रूप चाँद सा, सूरज सा है, धीरे-धीरे ढल जायेगारूप पाहुना है दो दिन का, आज नहीं तो कल जायेगारूप मोम की गुड़िया जैसा, छांव तले तो महक-बहक लेभरी दुपहरी गर्म रेत में पांव पड़े तो गल जायेगा रूप न होगा जब चंदा सा, सूरज सा, मोमी गुड़िया सातब पहचानोगी सपनों का राजकुमार किसे कहते हैं कोलाहल में लुप्त हो गये, कैसे मूक हमारे स्वर थेबनते ही सत्वर मिट जाने वाले अक्षर क्या अक्षर थेप्रश्न-चिन्ह सी देहगन्ध आनाकानी करती आंगन मेंअनायास बन जाने वाले क्या संबंध सभी नश्वर थे सत्य सनातन, प्रीति पुरातन, अन्तर में जब लख पाओगीतब तुम जानोगी कल्याणी, प्रत्युपकार किसे कहते हैं ठोकर लग जाने के भय से मैं पथ से हट जाऊंगा क्याकटु सत्यों से बच, मिथ्या माया की टेक लगाऊंगा क्याक्या मैं अपनी भाषा-परिभाषा से समझौता कर लूंगाऊब अकेलेपन से भीड़-भड़क्के में खो जाऊंगा क्या ढूंढोगी जब घर-आंगन में, वन-उपवन में, नगर-गाँव मेंदेखोगी उन्मुक्त प्राण का मुक्त विहार किसे कहते हैंxxxxx
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