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भूमिका / कुमार मुकुल
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10:04, 13 जनवरी 2018
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<poem>
अपना अपना परिवेश पुनर्रचित करने का
मौका मिले हमें
तो वहां से शुरू करना पसंद करेंगे हम
संतरी सा
खड़ा रहेगा विवेक।
1987
</poem>
Kumar mukul
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