783 bytes added,
08:01, 1 फ़रवरी 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राजकमल चौधरी
|संग्रह=
}}
{{KKCatK
avita}}
<poem>
सभी पुरूष शिखंडी
सारी स्त्रियां राधा
सबके मन में धनुष ताने बैठा
रक्त प्यासा व्याधा
कहां जाएं, क्या करें ...
रावण बन किसकी सीता का हरण करें
चक्रव्यूह में किसी का भरोसा नहीं
रे अभिमन्यु - मन
यह देश छोड़ चलो अब वन।
(मैथिली से अनुवाद : कुमार मुकुल)
</poem>