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|रचनाकार= कविता भट्ट'
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तेरी तस्वीर कभी
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मन का कोना
उदीप्त-सुवासित
प्रिय प्रेम से ! इत्र नहीं, कपूर;पूजा के दीपक-साप्रिय प्रेम तुम्हारा।
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