Changes

{{KKCatGhazal‎}}‎
<poem>
ख़बर है दोनों को, दोनों से दिल लगाऊँ मैं,
किसे फ़रेब दूँ, किस से फ़रेब खाऊँ मैं ।
नहीं है छत न सही , आसमाँ तो अपना है,
कहो तो चाँद के पहलू में लेट जाऊँ मैं ।
उजाला कम हो तो बोलो कि दिल जलाऊँ मैं ।
नहीं नहीं ये तिरी तेरी ज़िद नहीं है चलने की,
अभी-अभी तो वो सोया है फिर जगाऊँ मैं ।
कभी किसी की मुहब्बत न आज़माऊँ मैं ।
हर एक लम्हा नयापन हमारी ही मेरी फ़ितरत है,
जो तुम कहो तो पुरानी ग़ज़ल सुनाऊँ मैं ।
</poem>
{{KKMeaning}}