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[[Category:बाल-कविताएँ]]
 
 
'''5-साइकिल'''
 
 
साइकिल मेरी छोटी-सी है
 
दिखती बड़ी कमाल
 
सीधी-सीधी चलती लेकिन
 
कभी बदलती चाल
 
पहिये इसके काले हैं ये
 
नीली है कुछ लाल
 
धोकर इसको मैं चमकाता
 
रखूँ सदा सँभाल
 
दादा जी ये जन्मदिवस पर
 
लाए थे उपहार
 
इसमें मुझको दिखता अपने
 
दादा जी का प्यार
 
 
'''6-एक पैसा दो'''
 
 
दादा जी एक पैसा दो
 
गोल-गोल हो ऐसा दो
 
टॉफ़ी लेकर आऊँगा
 
चूस-चूसकर खाऊँगा
 
मैं तो अच्छा बच्चा हूँ
 
सीधा-साधा सच्चा हूँ
 
रोज किताबें पढ़ता हूँ
 
नहीं किसी से लड़ता हूँ
 
बात हमारी मानो जी
 
छोटा बच्चा जानो जी
 
-०-
 
'''7-झींगालाला'''
 
 
झींगालाला-झींगालाला
 
घर पर आज लगा है ताला
 
दरवाजे पर बैठा बन्दर
 
अब मैं जाऊँ कैसे अन्दर
 
 
 
चाबी मेरे पास नहीं है
 
अब बचने की आस नहीं है
 
घुड़की मुझे दिखाता है वो
 
पीछे दौड़ा आता है वो
 
मै तेजी से भाग गया था
 
अब सपने से जाग गया था
 
-०-
 
'''8-सूरज भैया
'''
 
सुबह-सुबह तुम सूरज भैया
 
लगते बड़े कमाल
 
अम्बर के भी कर देते हो
 
लाल गुलाबी गाल
 
डाक्टर को दिखला लेते क्यों
 
उतरा नहीं बुखार
 
बदन तुम्हारा तपता रहता
 
बड़ा बुरा है हाल
 
अभी नहालो तुम भी जाकर
 
गर्मी होगी दूर
 
सेब संतरा खाओ आड़ू
 
खाओ तुम अंगूर
 
तुम्हें सुबह से ताप चढ़ा है
 
हो गई अब तो शाम
 
करो ज़रा अब सूरज भैया
 
घर जाकर आराम
 
घर को लौट चले अब शायद
 
कहना लिया है मान
 
साँझ हुई तो तपे हुए थे
 
केवल थोड़े कान
-०-