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गांव : दोय / दुष्यन्त जोशी

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<poem>
गांव में
वाटर वक्र्स है बण्योड़ौ
पण
पाणी आवै कदी-कदी

गांव में
बिजळीघर भी बणग्यौ
पण
बिजळी आवै कदी-कदी

गांव में
इस्कूल खुलग्यौ मोटो
पण
गुरुजी आवै कदी-कदी

गांव में
फोन रा घणां है टावर
पण
बातां हुवै कदी-कदी

गांव में
घर-घर है मजदूर
पण
काम आवै कदी-कदी

गांव में
ठेकौ खुल्लै रोज
लागै
लुगायां नै बोझ

गांव में
खुलगी कई दुकानां
जठै
सट्टौ लागै रोज

गांव नै
माड़ी पडग़ी बाण
ईंरौ
कद हुयसी कल्याण।
</poem>
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