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05:49, 1 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[दुष्यन्त जोशी]]
|अनुवादक=
|संग्रह=कठै गई बा'... / दुष्यन्त जोशी
}}
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<poem>
आपां
कित्ती करली तरक्की
आखौ जग
आपणी जेब मांय
बरसां सूं बणायोड़ौ
स्सौ' कीं
आपां
अेक बटण सूं
कर सकां तैस - नैस
आओ
आपां कीं और
तरक्की करां
स्सौ' कीं
तैस-नैस करण सारू
बटण ई
नीं दबाणौ पड़ै
कोई अेड़ौ काम करां।
</poem>
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