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गरीबी / दुष्यन्त जोशी

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<poem>
थूं
क्यूं रोवै
थारी गरीबी नै

अर
क्यूं कोसै
आपरै बडेरां नै

थूं
खुद है जिम्मेदार
आपरी गरीबी रौ

थूं
क्यूं गावै रोजिना
औ' राग

अब तो जाग
खुलसी भाग।
</poem>
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