675 bytes added,
07:14, 1 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[दुष्यन्त जोशी]]
|अनुवादक=
|संग्रह=कठै गई बा'... / दुष्यन्त जोशी
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
प्रेम, प्यार-मोहब्बत नै
जद
सगळा धरम ग्रंथ
चोखो बतावै
तद
प्रेम करणियां माथै
लोग
आंगळी क्यूं उठावै
म्हूं सोचूं
कै
लोगां रौ
काम तो है कैणौ
देवै बात-बात में मैणौ।
</poem>