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07:16, 1 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[दुष्यन्त जोशी]]
|अनुवादक=
|संग्रह=कठै गई बा'... / दुष्यन्त जोशी
}}
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<poem>
टाबर
जद बोलणौ सीखै
तद
राजी हुवै सगळा
अर जद बोलण लागै
तद
चुप रैवण री
करै ताकीद
म्हूं अबै
चुप रैवूं
तद
संगळिया कैवै
चुप्पी चोखी कोनी
जिनगी रा दिन च्यार
कीं' बोले कर यार।
</poem>
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