606 bytes added,
07:17, 1 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[दुष्यन्त जोशी]]
|अनुवादक=
|संग्रह=कठै गई बा'... / दुष्यन्त जोशी
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
सुपणां मांय
म्हूं कदी उडूं अकासां
अर
कदी चल्यौ जावूं
पताळ में अचाणचकौई
म्हूं सोचूं
कै
खुद री
मरजी रा
सुपणां ई नीं लेय सकूं
आखी रात।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader