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07:40, 1 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[मीठेश निर्मोही]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आपै रै ओळै-दोळै / मीठेश निर्मोही
}}
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<poem>
थनै थारै सूं ई
जूंझणौ
पड़सी।
खूद सूं
होवणौ
पड़सी
निरपेख।
तद ई
रैसी
थूं
अर
थारी
मरजाद।
</poem>
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