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09:44, 1 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[मीठेश निर्मोही]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आपै रै ओळै-दोळै / मीठेश निर्मोही
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
गूंगो-बोळौ
आंधौ बण
बदळग्यौ
थूं !
ठावौ
थारौ
मुलकां चावौ
नांव
न्याव !
अटकण लागियौ
थूं,
थारै ई दरूजां
जांणै
रिंधरोही में
भंवतौ मिरगलौ
किस्तूरी री
दौड़।
</poem>