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14:53, 3 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[ॠतुप्रिया]]
|अनुवादक=
|संग्रह=ठा’ नीं कद हुज्यावै प्रेम / ॠतुप्रिया
}}
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<poem>
मिनख
इण चिंत्यां में
क्यूं रैवै बीमार
मर्यां पछै
सौ’ कीं त्यार
क$फन
कांधा देवणियां
अर लकड़्यां
सांस
बंद हुवण री है देर
फेर क्यूं करै
तेर-मेर।
</poem>
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