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14:58, 3 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[ॠतुप्रिया]]
|अनुवादक=
|संग्रह=ठा’ नीं कद हुज्यावै प्रेम / ॠतुप्रिया
}}
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<poem>
मुसाणां रै कन्नै
दाग स्यूं पैली
परम्परा मुजब
पाणी रौ
घडिय़ो फोड़ै
स्यात
घड़ै रै धडक़ै स्यूं
बावड़ ज्यै सांस
क्यंूकै
पैलीआळा लोग
जाणता
मिनख अर
पाणी रौ मोल।
</poem>
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