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15:11, 3 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[ॠतुप्रिया]]
|अनुवादक=
|संग्रह=ठा’ नीं कद हुज्यावै प्रेम / ॠतुप्रिया
}}
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<poem>
कागला
नां अबै
स्सैहर में दीखै
अर
नां दीखै गाँव-गाँव
श्रादां रै परसाद सारू ई
लोग अडीकै
अबै कागलां नै
कठै गया कागला
कठै गई
काँव-काँव!
</poem>
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