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15:16, 3 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[ॠतुप्रिया]]
|अनुवादक=
|संग्रह=ठा’ नीं कद हुज्यावै प्रेम / ॠतुप्रिया
}}
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<poem>
हिरणती
आपरी नूंईं पीढी नै
देवै सीख
कै हुनर
हासल कर्यां ई हुयसी
तेरै जीवण रौ
बेड़ौ पार
अठै जणौ-कणौ
मांस भखै।
</poem>
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