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15:19, 3 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[ॠतुप्रिया]]
|अनुवादक=
|संग्रह=ठा’ नीं कद हुज्यावै प्रेम / ॠतुप्रिया
}}
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<poem>
थूं कांईं करै आज
निरजळा ग्यारस रै दिन
तीसै मिनखां नै
पाणी क्यूं नीं पावै
अठै रूंखां में
पाणी ढोळ’र
आपरी बावळ क्यंू खिंडावै
बा’ बोली-
रूंख है
तद मिनख है
अर मिनख है
तद रूंख।
</poem>
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