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गौर से देखो तो हर चेहरे की बेनूरी का राज / फ़रहत एहसास
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12:05, 26 अप्रैल 2018
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<poem>
गौर
ग़ौर
से देखो तो हर चेहरे की बेनूरी का
राज
राज़
बादशाह-ए-वक़्त के चेहरे की ताबानी में है
!
चाँद भी हैरान दरिया भी परेशानी में है
अक्स किसका है कि इतनी रौशनी पानी में है
!
</poem>
Shrddha
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